Monday 14 March 2016

भावी योजनाएँ -


(I)   संस्कृत भारतीय प्राच्य विद्या ज्ञान का केन्द्र है। यह ज्ञान सभी के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण उपयोगी है, जिससे पूरी मानवता का भला हो सकता है और हो भी रहा है। आने वाले समय में संस्कृत में (ऑनर्स) लाने का प्रयास चल रहा है।
(II)   संस्कृत ऑनर्स (विशेष) होने के कारण इस महाविद्यालय के छात्र एम.ए., एम.पि ल्., आदि कक्षाओं में अधिक संख्या में नहीं जा पाते। ऑनर्स आने के बाद अधिक से अधिक छात्र उच्च शिक्षा में प्रवेश लेकर एम.ए., एम.पि ल्., पीएच.डी. एवं अन्य संस्कृत से संबंधित शोध-कार्य कर सकेंगे तथा बाहर देशों में भी संस्कृत का गौरव बढ़ाकर महाविद्यालय का नाम उ ँचा कर सकेंगे।
(III) सर्टिपि केट कोर्स कराने का कार्यव्र म महाविद्यालय की ओर से चलाने का भी प्रकल्प भविष्य में तैयार किया जायेगा।
(IV)  इसके अतिरिक्त अन्य विभागों के ज्यादा से ज्यादा छात्रों को Interdisciplinary Courses में संस्कृत के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा।
(V)   संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए अधिक से अधिक बच्चों को श्लोक, मन्त्र तथा प्रारम्भ में सामान्य संस्कृत सिखायी जायेगी।
(VI)  वेद, उपनिषद्, गीता, योग आयुर्वेद की सभी के लिये ज्ञानवर्द्धक अतिरिक्त कक्षायें प्रारम्भ की जायेंगी।
(VII)  देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से छात्रों को जोडक़र उससे लाभ उठाया जायेगा, जिससे कि छात्रों का सम्पूर्ण विकास हो सके उनकी कला तथा सोच-विचार में निखार सके। जैसे - दिल्ली संस्कृत अकादमी, राष्टि्रय संस्कृत संस्थान, संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, भोगीलाल रिसर्च इंस्टिट्यूट इत्यादि।

(VIII) देश के प्रतिष्ठित विद्वानों के व्याख्यानों का आयोजन किया जायेगा।

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